3.8.10

जोगी निपट निरंजन और औरंगजेब

जिस ने भगवान को, विवेक को जगाया , उस को जोगी कहा जाता है…. माणिक नाथ जोगी,हरिदास जोगी,तुकाराम जोगी है… ज्ञानेश्वर जोगी है… उन सभी को प्रणाम है ….

औरंगाबाद में निपट निरंजन नाम के महापुरुष थे…औरंगजेब उन को मिलने गया की इन को अपने पक्ष में करू…
देल्ही से आया औरंगाबाद में…. हाथी पे बैठ के बैंड -बाजे के सहित महाराज पे प्रभाव डालने के लिए औरंगजेब आया….

निपट निरंजन बाबा समझ गए की , संत को प्रभावित कर के मराठो की जड़े खोदने के हेतु से आया है… संत के शरण में नहीं आया…. मराठो में भी भक्ति है, उन को दबाना पाप है…. ये पाप करता हुआ भी मेरे को पटाने को आ रहा है…
बाबा मकान की प्लिंथ बनती , उस पर बैठे थे…. जरा बुखार था शरीर में….तो शरीर काँप रहा था….कम्बल ओढ़ के बैठे थे…. देखा की अब औरंगजेब आ रहा है… अपने ताम-झाम दिखाने को… संकल्प से बुखार को कम्बल में रख दिया…कम्बल कापने लगा! और चबूतरे(प्लिंथ) को आज्ञा किया और ज्ञानेश्वर के जैसे उस प्लिंथ को चलाया!!
‘लाहोल्लाकुवत!’ कर के औरंगजेब हाथी से उतरा ….. महाराज की ऊँचाई देख कर दंग रहे गया और महाराज के चरणों में प्रणाम किया!!
जहा ऐसे परम महापुरुष रहेते थे, ऐसी जगह की जमीन हड़पी जाती है…. जहा संभाजी की हत्या हुयी , उन को खिले घुसे वो जगह हड़पी जाती…मकबरा के आसपास किसी को घर नहीं बनाने दिया जाता…. हिन्दुओ के साथ क्या क्या हो रहा है ..
हिन्दू जाते मानस सरोवर की यात्रा करने उन पर टैक्स डालते… ये कैसा अन्याय है ! हिन्दू के साथ सौतेला व्यवहार अच्छा नहीं लगता…. मैं कुछ बोलता तो मेरा कुप्रचार करते..मेरा कुप्रचार करने से मैं रुकने वाला नहीं, डरनेवाला भी नहीं हूँ…

जब प्लिंथ चली औरंगजेब का अहंकार थोडा दबा ….

बुध्दी में 2 धाराएं होती है…अहंकार और विवेक होता…. जिन को गुरू का ज्ञान नहीं होता उन का अहंकार उठता है…राम जी में विवेक है, रावण में अहंकार है… ऐसे जो सदगुरू के होते तो विवेक जगता है.. ये ही सत-बुध्दी है…
अगर विवेक जगा तो ईश्वर बना दिया! अहंकार जगा तो विवेक दबा…विवेक दबा तो बुध्दी दुर्गति करा देती…

बाबा को खुश करने के लिए औरंगजेब लगातार 8 दिन सत्संग में बाबा के पास जाता रहा…लेकिन बाबा जानते थे .. औरंगजेब हाथ जोड़ के बोला, ‘बाबा मैं देल्ही से खास औरंगाबाद आया…’
बाबा बाल-कवी थे… कविता में उपदेश दिया…

दावा बादशाह का करते, दुवा माँगते? हम तो फकीर है…
कहे निपट ये देल्ही का दरबार नहीं, फकीरी दरबार है..
चारो दिशा बाहर मार-काट किया कत्ले आम
एक बहादुर की शीश कटवाई है…
गुरु गोविन्द सिंह के बेटे को नाहक दिवार में चिनवाया है…
और फकीर की दुवा माँगने आया है ?

…मेरे को आजमाने को हाथी पे बैठ के आया…
कहे सव्वा मन जनेऊ जलाए, खाना तब खाए..
फिर दुवा मांगता है ?
सुनो सुल्तान… कौन है मुस्लमान?
जिस का मुसल्ले ईमान… यकीन पक्का हो वो ही मुसलमान होता है..

खुद की ना पहेचान , और जीकर खुदा का छेड़ा है..
कलाम कहे भारम्भार अन्दर मलबा भरा है…
अन्दर ऐसी बुध्दी है जिस में अहंकार और द्वेष का मलाबा भरा है…
100 चूहे खाके हुक्का हाज को दौड़ा है…
करे नमाज रोजाना रूह का खुदा खोजा ना …
कहे जगत है बखेड़ा, कहे आँगन टेढा …
नाचना तो आवे नहीं.. कहे आँगन टेढ़ा
ये साधना कठिन है..
हिन्दू को काफिर कहे नर आलमगीर
मुर्दा गाड़ा कहे उस को बोलते पीर?
सुन मून उम्र गवाया सब तुने 60 साल का हुआ….
अभी भी छल कपट कर के पटाने आया
धोबी का कुत्ता ना घर ना घाट का
खुद को नहीं खुद की खबर
कुछ ऐब ढूंढ़ खुद की नजर
अपनी बुराई को खोज दूसरों की भलाई कर
ऐश में ना खो हैवान कहेलायेगा,
सुन आलमगीर दिल से भी जाएगा, दुनिया से भी जाएगा!
सती भय सत नहीं यति भय मुनि गुनी भय
तापी जपी भय रागी भय जोगी बियोगी नहीं थिर
औलिया बतिया है …
दिल की देल्ही की सफाई करो..ये ही बादशाही है

औरंगजेब को बाबा निपट निरंजन ने ऐसी करारी बात बतायी….औरंगजेब 8 दिन का सत्संग सुना, बाबा को पटा न सका..जैसा अहंकार में आया था , ..वैसा लकड़ी और दाढ़ी हिलाता चला गया…सच्ची बादशाही की सच्ची बात नहीं पचा सका…
सच्ची बादशाही तो की मौलाना आज़ाद ने..मुसलमानो में भी कई सूफी फकीरों ने सच्ची बादशाही पायी…

अहंकार से आप अ-तृप्त रहेगा और दुसरे का शोषण करेगा….अ-तृप्त व्यक्ति ही झगड़े करता कराता है…
समाज का शोषण करता है….
अहंकारियों ने ही आतंकवादी बनाए जोगियों ने आतंकवादी नहीं बनाए..

बुध्दी की 2 धारा समझ लो….और जब भी किसी से बात करो, व्यवहार करो तो अहंकार की विशेषता है की विवेक की ये जान लो…विवेक की विशेषता रहेगी तो आप किसी को तुच्छ नहीं मानेंगे, किसी का बुरा नहीं सोचेंगे…. सभी में प्रभु है.. आप बुद्दू नहीं बनेंगे, दूसरा आप को बुद्दू बना दे ऐसे भी नहीं रहेंगे… आप टूटेंगे नहीं, दुसरे को तोड़ेंगे नहीं…आप अ-ज्ञानी रहेंगे नहीं, दूसरो का अज्ञान रखेंगे नहीं…

बुध्दी में विवेक होगा तो अपने रस्ते चलेंगे… भगवान को प्रार्थना करे की, ‘भगवान की कृपा से बुध्दी में सत -विवेक रहे …प्रभु सत -विवेक दीजिये …’
बुध्दी तो बदमाशो के पास भी होती है… बुध्दिमान होना बड़ी बात नहीं, बुध्दियोगी होना है तो योगेश्वर कृष्ण का ध्यान करो….जिस में भगवान की सत्ता जागृत है वो ही जोगी है… भगवान को पाए हुए महापुरुष जोगी है….

ॐ शांती

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