8.4.10

भगवान का मुंह कहाँ है ?


श्री सुरेश महाराज की गुरुभक्तिमय अमृतवाणी

२१ मार्च २०१० ; इंदौर सत्संग समाचार


सत्संग से अनगिनत लाभ और कई यज्ञ करने के पुण्य होते है..

लेकिन अभी हम सत्संग पंडाल में बैठे है तो अभी भी हमें यहाँ बैठने मात्र से ५ लाभ हो रहे है…सत्संग पंडाल में ५ दोष लगने के अवसर निकल जाते…

पहेला लाभ तो ये है की यहाँ बैठे है तो दंभ करने का अवसर निकल जाएगा…घर में होते या कही ओर होते तो अब तक कितनी बार आईना देखते या और कुछ करते की मैं ऐसा, मैं वैसा…ये दंभ है..यहाँ बैठे है तो भगवत प्रीति में..गुरुदेव की पावन याद में..

दूसरा लाभ ये है की हमारा शरीर ठीक रहेता…

एक साधक महाराष्ट्र से आया था, हरिद्वार के सत्संग में..उस को थोडा सिरदर्द हो रहा था..सोचा की ठीक हो जाएगा..बापूजी व्यासपीठ पर पधारे..सत्संग शुरू हुआ..और इस भाई का सिरदर्द भी जोर से शुरू हुआ..ऐसा की उस से बैठा ही न जाए..सोच रहा था कि, बापूजी व्यासपीठ पर है, सत्संग के बिच उठ जाना भी ठीक नहीं…क्या करे?..लेकिन उस से बैठा ही न जाए ..ऐसा सिरदर्द होने लगा..तो उस ने मन बना लिया की अब धीरे से झुक कर निकल जाता हूँ…उस ने ऐसा मन में सोचा और बापूजी बोले, जिन को सिरदर्द है वे अंगूठे के नोक पर दूसरी उंगली दबा के और जीभ दांत के बिच में लगा के बैठे तो सिरदर्द मिट जाएगा..वो भाई ने ऐसे किया तो २-५ मिनट में ही उस का सिरदर्द रुक गया और ऐसे रुका की आज तक कभी वापस नहीं आया सिरदर्द!

ऐसे अनुभव कईयों को होते है..

तीसरा लाभ ये है की जब तक यहाँ बैठे है अ-सत्य से बचे रहेंगे… जितना समय सत्संग में बैठे रहेंगे..शांति से भगवत विचार में बैठे है..भक्ति योग, ज्ञान योग में…किसी से झूठ बोलने का सवाल ही नहीं..

चौथा लाभ ये है की, अभिमान नहीं रहेगा..यहाँ बैठे है तो सभी एक जैसे…किसी को श्रेष्ठ और किसी को कनिष्ठ दिखाना नहीं..तो सत्संग में बैठने मात्र से आप अभिमान रहीत हो गए..

और पांचवा लाभ ये है की आप भगवान के हो गए! …बोलो भाई आप के मन में ये विचार है क्या की मैं फलाने जात का हूँ , वो फलानी जाती का है..नहीं… यहाँ सब भगवान के है…

तुलसीदास जी ने देखा की हनुमान जी रघुवंश के सदस्य हो गए !..हनुमान जी को सीता मैय्या ‘बेटा’ कहेती, श्री राम जी ‘सखा’ कहेते, माँ कौशल्या ‘बेटा’ मानती..लखनजी ‘भाई’ कहेते तो हनुमानजी तो रघुकुल के सदस्य ही हो गए ना…दीक्षा से इतनी भक्ति, इतना प्रेम, इतना समर्पण होता है की भक्त भगवान का हो जाता है…फिर जाती, वर्ण की संकीर्णता नहीं रहेती… भक्त भगवान का हो जाता… भगवान सब के है..


गुरु से दीक्षा में भगवान का नाम पाना बहोत हितकारी है..

गुरु की दीक्षा साधक के जीवन को दिशा देती है..दीक्षा नहीं तो, उस व्यक्ति की दशा बिगड़ जाती है..

यहाँ इंदौर के गुरुकुल में हॉस्टल सुविधा है, इंग्लिश माध्यम है और सी . बी . एस. सी. का अभ्यासक्रम है…

…भारत में और विदेशो में कई बालसंस्कार चलते जिस में बच्चो को सुर्य नमस्कार , योगासन सिखाये जाते… माँ बाप का आदर कैसे करना, अच्छी आदते सिखाई जाती, पढाई में, याद शक्ति में आगे कैसे बढे ये सब निशुल्क सिखाया जाता है..देश विदेशो में भी कई बाल संस्कार केंद्र चलते.. बाल संस्कार से बच्चो को तेजस्विता प्राप्त होती है ….केनडा में भी चलते है…एक कन्या पंजाबी परिवार में जन्मी है..बापूजी का सत्संग सुनते सुनते हिंदी सिख गयी.. ‘कोमल’ नाम है उस का..उस ने केनडा में बालसंस्कार केंद्र शुरू किया..बच्चो को हिंदी भी सिखाने लगी…बालसंस्कार केंद्र का कार्यक्रम संपन्न होने पर आरती होती है..छोटे छोटे बच्चे भी आरती हाथ में लेकर ‘ज्योत से ज्योत जगाओ’ बोलते.. बहोत अच्छे संस्कार मिल रहे है….बहेरिन, ओमान, मस्कट में भी बालसंस्कार केंद्र चलते है..आप भी अपने क्षेत्र में बाल संस्कार केंद्र चलाये..

भगवान की भक्ति ये दैवी संपदा है.. भगवान के भजन से दैवी गुण अपने आप आ जाते है..निगुरे लोग सांसारिक पदार्थो को अपना मानते, सदा रहेने वाले ईश्वर को अपना नहीं मानते..


ये धार की बच्ची शिवानी ४थि क्लास में पढ़ती थी तब गुरु दीक्षा ली थी..

सारस्वत्य मन्त्र लिया था…अब १४ वर्ष की आयु है , पर १७ गोल्ड मेडल , ४ सिल्वर मेडल और ३ ब्रोंज मेडल मिले है..साउथ अफ्रिका में कराटे में ३ ब्रोंज मेडल जीते है..

सारस्वत्य मन्त्र के जप से, बापूजी के पवित्र आशीर्वाद से जीवन कितना उंचा हो जाता है…


क्रिकेट खेल के प्रसिध्द बोलर ईशान शर्मा का नियम है की वे मैच खेलने के बाद कही से लौटते तो माता पिता के साथ देल्ही के आश्रम में आते है..बड़ -दादा को परिक्रमा करते और जहां जगा मिले शांत बैठते… ऐसा नहीं की मैं विशेष हूँ, मेरे लिए विशेष सुविधा मिले..

झुकता है वो जिस में जान होती है

अकड़ना मुर्दे की पहेचान होती है ..

अकडनेवाले तू गुरुभक्ति के सागर में गहेरा गोता लगा तो कैसा खजाना है पता लगेगा…

एक यक्ष ने युधिष्टिर महाराज को पूछा था की जगत में सब से बड़ा आश्चर्य क्या है?

तो युधिष्टिर महाराज ने उत्तर दिया था की सब से बड़ा आश्चर्य ये है की हर मनुष्य मरनेवाला है पता है , फिर भी वो सोचते की सदा रहेंगे…विवेक जगता नहीं…ये मेरे विचार में सब से बड़ा आश्चर्य है… लेकिन आज अगर युधिष्टिर महाराज होते और कोई यक्ष उन को पूछता की जगत में सब से बड़ा कौन सा आश्चर्य है…तो युधिष्टिर महाराज जरुर ये ही उत्तर देते की, ब्रम्हज्ञानी संतो के कु-प्रचार वाले झूठ से तदाकार हो कर जो झूठ बोलते और उस समय उन का कलेजा भी नहीं कापता ये सब से बड़ा आश्चर्य है!’

…आश्चर्य तो है, लेकिन कण कण में बसा प्रभु सब देख रहा है…

कण कण में बसा प्रभु देख रहा

चाहे पुण्य करो चाहे पाप करो…

कोई उस की नजर से बच ना सका….


गीता के १३ वे अध्याय का १३ श्लोक है..जिस में भगवान कहेते की मेरा हाथ, पैर, मुंह सर्वत्र है….

एक बार अकबर बादशाह बीरबल को बोले, ‘हिन्दू धरम वाले बोलते के भगवान है, तो बीरबल मुझे भगवान दिखाओ’

बीरबल ने कहा, ‘महाराज आप का जबाब कल मिल जाएगा’

बीरबल घर आये, सोच रहे थे..तो उन के बेटे ने पूछा, ‘क्या बात है पिताजी?’

बीरबल ने बताया तो बेटा बोला, ‘पिताजी, अकबर बादशाह को बोलना इस का जबाब मेरा बेटा देगा..’

दुसरे दिन अकबर के साथ उन का बेटा भी दरबार में गया..

बादशाह ने कहा, ‘बोलो बेटे, भगवान सब जगह है तो मुझे दिखाओ’

बीरबल का बेटा बोला, ‘हां दिखाता हूँ , पहेले मेरे लिए दूध तो मंगावायिये, बहोत भूक लगी है…’

दूध मंगवाया…बेटा दूध में उंगली घुमाए…पिए ही नहीं..आखिर अकबर बादशाह बोले, ‘दूध पियो बच्चे..देख क्या रहे हो?’

बेटा बोला, ‘मैंने सुना है की दूध में घी होता है, लेकिन घी दिखाई नहीं दे रहा..’

अकबर बादशाह हँसे, बोले, ‘बच्चे ऐसे थोड़े ही घी दिखाई देगा, उस के लिए पहेले दूध गरम करो, फिर ठंडा करो, फिर उस में दही का जामुन डालो..फिर उस को थोड़े समय दही ज़माने के लिए रख दे..ध्यान रखे की हीलाये नहीं.. दही जमे तो उस को मंथन करो तो मख्खन आयेगा ऊपर..उस मख्खन को तपाओ तब घी दिखेगा!.. ऐसे थोड़े ही दिखेगा…’

बीरबल का बेटा हँसने लगा, ‘महाराज इतना सब जानते हो की घी कैसे दिखेगा, ये नहीं जानते की भगवान कैसे दिखेगा ?.. गुरु से दीक्षा लो, ज्ञान पाओ, ईश्वर में विश्रांति पाओ.. तब भगवान का अनुभव होगा…!’

अकबर ने कहा, ‘अच्छी बात है…लेकिन इतना तो बताओ की भगवान का मुख किस तरफ है?’

बीरबल के बेटे ने एक जलती हुयी मशाल मंगवाई..मशाल को हाथ में पकड़ा और पूछा की इस मशाल का प्रकाश किस तरफ जा रहा है?

बोले, ‘सब तरफ जा रहा है….’

उस प्रकार भगवान का मुख भी सब तरफ है..भगवान सदा सर्वत्र देख रहा है..’



कण कण में बसा प्रभु देख रहा

चाहे पुण्य करो चाहे पाप करो…

कोई उस की नजर से बच ना सका….

दृष्टी मीरा की निराली

पी ली जहर की प्याली

भगवान को बसाया हर श्वास में

आया जब काला नाग

(सास ने मीरा को मारने के लिए विषधर साप भेजा था )

आया जब काला नाग, बोली धन्य मेरे भाग

प्रभु आये हो साप के लिबास में

मेरी बिगड़ी बनायी दीनानाथ ने…

(महाराष्ट्र के संत नामदेव की दृष्टी कैसी थी..कुत्ता रोटी लेके भागे तो ये उन के पीछे घी का कटोरा लेकर भागे.. कुत्ते को लगा रोटी छिनने आ रहे..बोले, रुको प्रभुजी, रोटी को घी लगा के दूँ …)

नामदेव ने बनायी

रोटी कुत्ते ने उठायी

पीछे घी का कटोरा लिए जा रहे

प्रभु घी तो लेते जाओ

रोटी रुखी तो ना खाओ

तेरा मेरा एक नूर

फिर काहे को हुजुर

तुने शकल बनायी है श्वान की

कण कण में है झांकी भगवान की

हरी ssssssssssssssओ sssssssssssssssम्म्म्म्म्म्म्


उस भगवान का ज्ञान देनेवाले भगवत स्वरुप बापूजी पधार रहे..


ॐ शान्ति

सदगुरुदेव जी भगवान की सदा ही जय हो !!!!!

गलतियों के लिए प्रभुजी क्षमा करे…

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