8.4.10

पवन तनय


पवन तनय

30 मार्च 2010 ;

हरिद्वार सत्संग..हनुमान जयंती.

कलियुग में श्री राम

संतश्री आसाराम ll

सुरेशानन्द है स्वामी के

भक्त श्री हनुमान ll

हनुमानजी चिरंजीवी है…
भक्त कही भी रहे उन की कृपा का अनुभव कर सकते है ..
जब हनुमान जी समुन्दर पार जा रहे थे तब मैनाक परबत ने रास्ता रोका… ‘आओ वीर हनुमान..चारो ओर समुद्र है, मीठा पानी कही नहीं…मेरे यहाँ मीठा पानी पि यो , फल खाओ’ ….लेकिन हनुमान जी ने ना फल खाए, ना मीठा पानी पीया…बोले, ‘मुझे पहेले राम काज पूरा करना है’ …हम भी भक्ति के रास्ते में , ब्रम्ह विद्या प्राप्त करने के लिए चले तो भटक ना जाए…कही अटक ना जाए अपनी साधना की यात्रा चालु रखे..

प्रवृत्ति रूपी लंका में प्रवेश करो तो नर हरी का गुरु का..गुरु तो नर के रूप में नारायण है…सदगुरुदेव का स्मरण कर के आगे चले तो सफलता मिलेगी… हनुमान जी ने कैसे नाम, प्रतिष्ठा की इच्छा नहीं राखी… सेवा और सुमिरन तो बहोत किया…राम काज करने को आतुर रहेते…
हनुमान जी को इच्छा है तो किस बात की…


विद्यावान गुणी अति चातुर
राम काज करने को आतुर
प्रभु
चरित सुनने को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया..

आज कल लोग बोलेंगे मेरी अमुक बूट पहेन ने की इच्छा है.. आइस – क्रीम खाने की इच्छा है… अमुक ड्रेस पहेन ने की इच्छा है… अमुक फिल्म देखने की इच्छा है..लेकिन हनुमानजी?

…हनुमान जी भगवान राम से पहिली बार मिलते तो ब्राम्हण का रूप लेकर जाते.. भगवान से बात-चित होती…
भगवान राम जी ने पूछा , ‘आप कौन है ब्राम्हण?’
तो हनुमानजी अपना परिचय कैसे देते है?… उन की नम्रता देखिये!


एक मैं मंद मोह वश कुटिल ह्रदय अज्ञान
पुनि प्रभु मोहे बिसारियो कृपा सिन्धु भगवान’


एक तो मैं मंद हूँ, कुटिल ह्रदय… अज्ञान हूँ… और आप ने मुझे भुला दिया है..ऐसा परिचय देते है..

तुलसीदास जी क्या कहेते… ‘पवन तनय संकट हरण , मंगल मूर्ति रूप. राम लखन सीता सहित, ह्रदय बसहु सुर भूप’ कहेते है….

भगवान राम हनुमान जी को कहेते की, ‘हनुमान मैंने तो तुम्हारा एक ही गुण कहा… वायु के ३ गुण होते… शीतल, मंद बहेती, सुरभित होती है….’
हनुमान जी हँसे…
बोले, “प्रभु हवा गरम भी तो होती है गर्मियों में!..आप गुण बताते लेकिन मैं सच्चाई बता रहा हूँ..हवा मंद बहेती लेकिन तेज तर्रार भी तो बहेती है…सुरभित तो होती है जब सुगंध को साथ ले आती है..लेकिन जब गन्दी जगह से गुजरे तो अपने साथ बदबू भी तो लाती है… प्रभु आप की कृपा हो तो सब बढ़िया हो सकता है! आप का नाम का सहारा है तो सब अच्छा होता है !!”
…राम जी खुश हुए उन की नम्रता देख कर….भगवान ने हनुमान जी को ह्रदय से लगाया…भगवान राम जी के आँखों में आंसू आ गए..!
भक्त सेवक को स्वामी गले लगा रहा है और स्वामी के आँखों में आंसू आये..एक या दो नहीं… आसुओ की धारा बहे चली…हनुमान जी बोलते…स्वामी हवा बहोत गरम चल रही हो और बारिश हो जाती तो कैसे हो जाता है ऐसे हमारी उष्णता को आप दूर कर देते… शीतलता देते हो ….


‘तब रघुपति निज लोचन सींच आसू!’


राम जी के आँखों में आंसू आते है…. भक्त तो सदा ही गद गद है, लेकिन आज राम जी गद गद हो गए!!



…हनुमानजी ने प्रेरणा दी है की हम ऐसे भक्त बने….
अपने दोषों को याद ना करे…स्वामी के गुणों को याद करे बस..उन का चिंतन करने से हमारे में वो गुण आ जायेंगे …जैसे पवन सुगंध शीतलता ये दुसरे के गुणों का प्रचार करते ऐसे हनुमान जी जहा भी जाते अपने स्वामी का गुण गान करते..कभी अपना बखान नहीं करते…

तुम्हारो मन्त्र विभीषण माना लंकेश्वर भये सब जग जाना

हनुमानजी ने कौन सा मन्त्र दिया था बिभीषण जी को? कौन सा मन्त्र मान लिया जो बिभीषण लंका का राजा बन गए..
‘राम चरण पंकज उर धरहु’ , लंका का अचल राज पद तू पा ले!
ये मन्त्र हनुमान जी ने रावन को भी दिया था, लेकिन रावण ने नहीं माना…. बिभीषण ने मान लिया!
भगवान के चरणों का ध्यान करो और अचल पद पा लियो ये ही मन्त्र हनुमान जी ने रावन को भी बताया था…रावन ने नहीं माना तो बुरी तरह मरना पडा और बिभीषण ने माना तो लंका का राजा भी बने और चिरंजीव हो गए…
८ चिरंजीवी है…अश्वस्थामा, हनुमान जी आदि ८ चिरंजिवो के साथ पद्म पुराण में बिभीषण का भी नाम है..

हनुमान जी साधू मानते बिभीषण को.. रामायण में वर्णन आता है की, हनुमान जी जब बिभीषण के कुटियाँ
के पास पहुंचे तो देखे की कुटियाँ के बाहर तुलसी का पौधा लगा है… ‘राम राम’ करते बिभीषण जाग रहे है तो हनुमानजी ने सोचा की मैं इस के साथ दोस्ती कर लू … इस में कोई घाटा नहीं होगा..राम जी भी बिभीषण की सलाह का आदर करते है… समुद्र को पार करना था तो सलाह लिया ….संतो से सलाह लेते भगवान!
बिभीषण ने बताया था की, ’समुद्र आप का कुलगुरु है…..बिना प्रयास से आप वानर सेना समुद्र के पार करा सकते है.. कुलगुरु को प्रार्थना करिए…’ राम जी ने सलाह मानी है….
कई मूढ़ संतो की बात नहीं मानते निंदा करते है… लोगो को दूर करना चाहते है संतो से …
हिमाचल प्रदेश में ज्वाला जी की ज्योत फूंक मार के कोई बुझा सकते क्या? ऐसे ब्रम्हग्यानी संतो की निंदा कर के कोई लोगो को गुमराह नहीं कर सकता..

साबुन के बुलबुलो की ज्यादा आयु नहीं होती…


२ तितलियाँ अमेरिका के न्युयोर्क से पसार हो रही थी… मेनहैट्टन की एम्पेरीअर स्टेट बिल्डिंग से जा रही थी… नर तितली ने मादा तितली से कहा ‘देख! देख ये एम्पेरीअर स्टेट को एक धक्के से गिरा दूँ!मेरे में इतनी शक्ति है..’
मादा तितली इम्प्रेस हो गयी… ‘अह्हाहा! बहोत शक्ति है!’
इतने में ये संभाषण एक व्यक्ति के कानो पडा तो उस समझदार व्यक्ति ने नर तितली को बुलाया… ‘एई!… इधर आ!! जानते हो वो बिल्डिंग तुम गिरा नहीं सकते, तुम में इतनी शक्ति ही नहीं.… बोलो जानते हो की नहीं?’
बोला, ‘हां! जानते है’
‘फिर बोले क्यों? तुम बोले क्यों?’
नर तितली बोली, ‘माफ करना….वो तो मेरी प्रेमिका को इम्प्रेस करने के लिए बोल रहा था!’
..तितली की शक्ति कितनी?..ज़रा सी हवा लगे तो कही के कही उड़ जाए ..
मादा ने कहा क्या कहे रहा था वो मनुष्य?
नर तितली बोले, ‘गिडगीडा रहा था… माफी मांग रहा था..की ऐसा मत कर..’
ऐसे होते है खोकले उड़ाने भरनेवाले! औंधे मुंह खुद ही गिरते…!!


हनुमानजी सुन्दर संकेत देते… सिख देते है ..नम्रता, सेवा, भक्ति और नाम जप, संयम को खूब महत्त्व देना है..

अपने जीवन में ज्ञान और गुणों का सागर बनाना है… साथियो को उन्नत करते हुए उन की प्रसन्नता का ख़याल करते हुए ..

मैं तो मानता हूँ की मुझे हनुमान जी की कृपा ने ही बापूजी के चरणों में पहुंचाया है..!
पहाड़ी पे मंदिर था हनुमान जी का, उस में मैं जा के बैठता था कई बार…

ॐ शांति.
सदगुरुदेव जी भगवान की जय हो!!!!!
गलतियों के लिए प्रभुजी क्षमा करे….

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