8.4.10

पूनम दर्शन सत्संग समाचार


पूनम दर्शन सत्संग समाचार

30 मार्च 2010 ; हरिद्वार

भक्तो के तारण हार, परम कृपालु पूज्य बापूजी आज पूनम निमित्त ३ जगह अवतरित हो रहे है…सुबह हरिद्वार , दोपहर रजोकारी आश्रम देल्ही , और शाम को अहमदाबाद आश्रम में…धन्य हो परम दयालु जी की…भक्तो का समय, शक्ति और पैसे बचे और भगवत भक्ति में लगे इसलिए कितनी दौड़ भाग करते है….!
आज के हरिद्वार के शाही स्नान पर्वणी, श्री हनुमान जयंती और पूनम के इस परम पुण्यदायी सत्संग अमृत वाणी में प्यारे बापूजी ने अपने प्यारो को जग के व्यवहार में कैसे चले इस का मार्गदर्शन किया है..

हे दाता तेरा सत्संग बड़ा अच्छा लगता है

तेरा दीदार और दरबार अच्छा लगता है

तेरा मंद मंद मुस्कुराना बड़ा अच्छा लगता है

तेरा प्यार से डांटना भी बड़ा अच्छा लगता है

तेरा झूमना और झुमाना अच्छा लगता है

तेरा दीदार पाना बड़ा अच्छा लगता है

निर्मल है ये गंगा मैय्या पाप सभी के धोती

जोगी के सत्संग में आकर मति पावन हो जाती

जो गी रे क्या जादू है तेरे प्यार में…

कुम्भ पुण्य का योग है आया हरिद्वार में आया

तन मन उस का पावन जिस ने मन जोगी में लगाया

जोगी रे…

गंगा की धारा में नहा के तन निर्मल हो जाए

जोगी का सत्संग सुनो तो जनम मरण मिट जाए

जोगी रे…

तेरे कई अवतार है जोगी नाम है कितने तेरे

तेरे सुमिरन से कट जाते जनम मरण के फेरे

जोगी रे…

भक्त जनो के लिए जोगी ने कैसा रूप बनाया

कभी राम और शाम कभी बापू बन के आया

जोगी रे ….


हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई सब को दर्शन भाये

एक बार जो दर्शन पाए इन के ही हो जाए

जोगी रे….

रंग बिरंगी दुनिया के ये सारे रंग है झूठे

मेरा जोगी ऐसा रंग दे कभी ना फिर वो छूटे

जोगी रे….


कितनी भी तपस्या करे, कितना धन कमाए.. भगवान की प्रीटी के सिवा गधा मजूरी का अंत नहीं होगा..

बच्चे की माँ में प्रीति है तो माँ ऐसा नहीं बोलेगी की नहा के आओ फिर गले लगाउंगी… माँ की सारी योग्यता बच्चे के लिए ऐसी भगवान की सारी योग्यता भक्त के लिए है…. ‘ॐ ॐ ॐ प्रभुजी ॐ’ .. ये पुकार है…. हरी ॐ ॐ ॐ हर रूप में तुम हो ….साकार निराकार…निरंजन संजन ॐ ॐ आनंद…. ॐ ॐ ॐ माधुर्य … ॐ ॐ ॐ ….

भक्ति मार्ग में ४ घाट है ..ज्ञान घाट , कर्म घाट, दैन्य घाट और शरणागति घाट लेकिन आज कल ना जाने कौन कौन से घाट बना देते अहंकार के…


ज्ञान मार्ग वाले ऐसा कहे की, ‘मैं -मेरा कुछ नहीं..सब चलाचली..’ ज्ञान मार्ग के लिए ठीक है..लेकिन आप किसी डॉक्टर को जा कर बोले की, ये शरीर अ- सत है.. दो दिन का मेला..ये शरीर नहीं रहेगा.. शरीर नश्वर है..इस की चिंता क्या करते?’ तो चलेगा नहीं… तो जहां ज्ञान की जरुरत है वहा ज्ञान, जहां भक्ति की जरुरत है वहा भक्ति, जहां दैन्य की आवश्यकता है वहा दैन्य भी दिखाना पड़ता है…व्यवहार में कही हाथा जोड़ी से, तो कही दैन्य दिखा के, तो कही रुबाब जमा के, तो कही समय का इन्तजार कर के काम चलाना पड़ता है…सब जगह एक ही माप दंड नहीं चलता….


किसी ने बड़ा सुन्दर मकान बनवाया..वास्तु पूजन में प्रसिध्द गायक को बुलाया… गायक ने शुरू किया…

‘रे मन ये २ दिन का मेला

ना कायम रहेगा हर दम झमेला

रहेगा कंधे पर ठेला ‘ …लोगो ने सर पिट लिया! :)

..ये बड़ा प्रसिध्द भजन है…पर इस समय ये वैराग्य के भजन की जरुरत नहीं थी..

‘मंगल भवन ..नित्य उत्सव… नित्य च नित्य मंगलम एषा मंगलाय तन्नो हरी..’

भगवान हरी के निम्मित्त गृह प्रवेश करने वाले , भवन भोजन करने वाले सभी को उत्सव का आनंद मिले..मंगल मय मिलन नित्य मंगलमय हरी का उत्सव है’ कवी को ये गाना चाहिए..

तो ज्ञान घाट, कर्म घाट, दैन्य घाट और शरणागति घाट इन ४ घाटो पर गोता मारो तो मंगल होगा…लेकिन अहंकार के घाट में गोता मारोगे तो उस की ऐसी धुलाई होती की जैसे धोबी कपड़ो को पिटते, घुमा घुमा के निचोड़ते , गरम पानी-साबुन के झाग में डाले, फिर ना निकले तो केमिकल में दे दमादम ऐसे अहम् घाट वालो की बुरी दशा होती….जिस ने अहम् छोड़ दिया उस के पीछे तो सारी दुनिया तो क्या देवता घुमते… :)


कुलमिलाकर ये समझ लो की किस समय खाना, किस समय उपवास करना, किस समय बोलना. किस समय चुप होना ये बहोत जरुरी है…..

हनुमान जी कर्म दृष्टी में पूर्णता है…. भक्ति में पराकाष्ठा है ..


हनुमान जी से अंगद ने पूछा की, ‘आप ने लंका के घर घर गली गली को इतना क्यों छान मारा की इतना तो रावन ने भी देखा नहीं होगा…’

हनुमानजी ने बहोत सुन्दर उत्तर दिया, ‘वैद्य जैसे देखता की मरीज की कौन सी नाडी बंद है..मृतक घोषित करने से पहेले वो हर प्रकार से जांच करेगा… जब तक कही ना कही जान है तब तक वो उस को मृतक नहीं बोलेगा.. ऐसे लंका में भक्ति रूपी.. भगवत रस रूपी जीवन धारा कही है क्या ये मैं देखा..लंका में सुन्दर मकान , महेल तो बहोत थे..लोगो को हर सुविधा तो थी…लेकिन भक्ति रूप , भगवत रस रूपी जीवन रस कही नहीं है, इन का जीवन निसार है, ये मैंने जांच किया.. स्पंदन देखा तो सिर्फ बिभीषण और त्रिजटा जहां थी वहाँ जीवन देखा…तो जहां जीवन है, वहा मैं सम्शान यात्रा क्यों करवाऊ? और जहां मृतक है उन को सड़ने क्यों दूँ? .. तो उन्ही के घी- तेल- कपडे से चारो तरफ सम्शान की आग फैलाई… जीवन जहां नहीं था वो सब जल गए… युध्द के साधन भी जल गए…एक चौथाई सेना भी जल गयी…’


कैसे विलक्षण लक्षण से संपन्न थे हनुमान जी ! श्री राम जी जानते की हनुमान जी कर्म कौशल्य के धनि है.. राम जी ने हनुमान जी को भेजा.. सिर्फ एक काम बताया …लेकिन सीता जी को किस ने कैद किया, उस के योध्दे कैसे है, नगर कैसा,कितनी तैय्यारी है … कैसे धावा बोलना …कैसे सफल हो … ये सारी खबर ले कर आये… दास्य भाव, सख्य भाव, शरना गति भाव से भगवान में प्रीति आती …भगवत प्रीति से रति पैदा होती… जिस के जीवन में भगवत प्रीति – रति पैदा हुयी वो ही जीते….जिन के जीवन में भगवत प्रीति- रति नहीं उन को ये समझ लेना चाहिए की,

ये तन कांचा कुम्भ है..फुटत ना लागे देर… फटका लागे फुटी पड़े.. यहाँ ज्ञान और वैराग्य की जरुरत है…

ॐ जय जगदीश हरे….

आरती हो रही है…



कीर्तन यात्रा…


पूज्य सदगुरुदेव जी भगवान के अवतरण दिवस के निमित्त हरिद्वार में विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया था..इस शोभा यात्रा का नजारा इतना विलक्षण था.. की लंबा जहा तक नजर जाए दुरदुर तक देखने पर भक्त ही भक्त नजर आते…जो भी देखते, श्रध्दा से नतमस्तक हो जाते…वातावरण में एक ही पावन नाम गूंज रहा था, ‘जय बापू आसाराम’ … ५ घंटे तक ये कीर्तन यात्रा चली …नर नारियो ने घर से बाहर आके, दुकानदारों ने दुकानों से बाहर आके इस का दर्शन किया..जो देखे ये ही बोले, ‘वाह वाह! क्या शोभा यात्रा है..’


पाकिस्थान से आये भक्तो ने भी पूज्य बापूजी से दीक्षा ग्रहण कर के अपना जीवन धन्य किया..


हे दाता तेरे दरबार में उंच-नीच नहीं, श्रध्दा से झुकता सीर देखा है !

मैंने नमन करता हिन्दू तो सलाम करता मुसलमान देखा है..!!

ॐ शांति.

सदगुरुदेव भगवान की जय हो !!!!!

गलतियों के लिए प्रभुजी क्षमा करे…..

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें