20 मार्च 2010;इंदौर चेटीचंड शिबिर सत्संग समाचार

वर्ष भर में विविध पर्वों पर वेदान्त शक्तिपात साधना एवं ध्यान योग शिविरों का आयोजन किया जाता है, जिसमें भारत के चारों ओर से ही नहीं, विदेशों से भी अनेक वैज्ञानिक, डॉक्टर, इन्जीनियर आदि भाग लेने उमड़ पड़ते हैं | प्राकृतिक वातावरण में पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू का सान्निध्य पाकर हजारों साधक भाई-बहन अपने व्यावहारिक जगत को भूलकर ईश्वरीय आनन्द में तल्लीन हो जाते हैं | बड़े-बड़े तपस्वियों के लिए भी जो दुर्लभ एवं कष्टसाध्य है, ऐसे दिव्य अनुभव पूज्य बापू के शक्तिपात द्वारा प्राप्त होने लगते हैं | ऐसा ही सु-अवसर प्राप्त हुआ है इंदौर की चेटीचंड समिति के ३ दिवसीय शिबिर के सुन्दर आयोजन से…


…. हर जीवत्व के अन्दर इश-त्व है…लेकिन संसारी इच्छाओं ने बुध्दी को घसीट लिया तो बुध्दी कमजोर हुयी.. इन्द्रियों ने इच्छा की..मन में आया ऐसा करो तो मति ने ओ.के. किया.. पतन होगा… दुखी होगा…फिर रोना पड़ता है…कर्म करते समय उचित-अनुचित का ख़याल किया तो कल्याण होता है..

मन-इन्द्रियों के अनुसार चलना ये अल्प मति की बात है… बुध्दी में परिणाम का विचार है, इन्द्रिय सुख में जाती और मन बिच में है…

अगर मन इन्द्रियों के साथ चलेगा तो समझो परमात्मा रूठे है ..तो निचे जाएगा… मन को ऊपर उठाना है तो सत्संग किया, नियम का आदर है तो उंचा उठेगा..मन बुध्दी के अनुसार चलेगा..
अगर बुध्दी ज्ञान स्वरुप है तो सही निर्णय देगी…जिस के प्रिय भगवान नहीं, जिस के लिए भगवत प्राप्ति मुख्य नही, उस का संग ऐसे ठुकराओ जैसे करोडो वैरी सामने बैठे है यद्यपि वो परम स्नेही हो..

मन है फिसलू भैया!…. इस के चंगुल में फसना नहीं…धैर्य से , दृढता से नियम करता है वो इस के चुंगल में फसेगा नहीं ..

झुलेलाल के पास भी शक्ति थी और म्रुख बादशाह के पास भी शक्ति है…लेकिन म्रुख की शक्ति दो-जख में ले जाने वाली थी और झुलेलाल की शक्ति जीवनी शक्ति का विकास कर के पूर्ण सत्ता से मिलाने वाली थी… झुलेलाल आप के पास है तो बुध्दी से योग कराते और म्रुख बादशाह आप के पास है तो मन इन्द्रिय भोग के लिए कर्म कराते… वास्तव में क्या अछा है यह जानना और उस के अनुसार कर्म करना बहोत जरुरी है….. सत्य का पक्ष लेते की सुख का पक्ष लेते..कभी ना मिटने वाला आनंद पाना है की टेम्पररी ख़ुशी पाना है इस की सोच जरुरी है.. टेम्पररी ख़ुशी के पीछे दौड़ेगा तो धीरे धीरे पतन की ओर, निचे चला जाएगा…
प्रलोभन, क्रोध, चिंता, लोलुपता को अपने ऊपर हावी ना होने दो..प्रलोभनो में फंसे नहीं, मैं अगर फंसता तो मेरा क्या हो जाता….कमाने की ताकद, खर्चने की अकल, और उपयोग करने की बुध्दी होनी चाहिए…